September 04, 2024

धान की फसल में पेनिकल माइट कीट का बढ़ा खतरा
अच्छी बारिश के चलते धान फसल का बंपर उत्पादन होने की संभावना बनी हुई है, लेकिन कटाई के पहले धान फसल में पेनिकल माइट बीमारी का प्रकोप हो गया है। इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। कृषि विभाग ने अलर्ट भी जारी करते किसानों को सर्तक रहने कहा है। पेनिकल माइट के प्रकोप से फसल उत्पादन प्रभावित होता है।कटाई से पहले धान फसल में पेनिकल माइट का प्रकोप दिखने लगा है। विशेषज्ञों की जानकारी अनुसार 10 प्रतिशत में पेनिकल माइट फैल चुका है। किसान ध्यान नहीं देंगे तो यह तेजी से फैल जाएगा।

कृषि विभाग के अनुसार पेनिकल माइट के प्रकोप से प्रति एकड़ धान फसल का उत्पादन 2 से 4 क्विंटल घट जाता है। भीरावाही के डुगेंद्रशंकर जैन ने कहा 3 एकड़ धान फसल में 5 प्रतिशत पेनिकल माइट लगा है। नियंत्रण के लिए दवा डाल रहे हैं। बारदेवरी के किसान गोवर्धन नागेश ने कहा धान कि फसल में पेनिकल माइट के साथ भूरा माहू का प्रकोप बना हुआ है।

पेनिकल माइट रात में करती है फसल पर हमला
पेनिकल माइट एक प्रकार की मकड़ी है जो दिन में तो अदृश्य रहती है, लेकिन रात में धान की बालियों को पंचर कर रस चूस खोखला कर देती है। बालियों में चावल के दाने नहीं बन पाते। यह धान फसल के लिए बहुत खतरनाक कीट है। पंचर वाले स्थान पर फंगस लग जाता है, जिससे बालिया बदरंग हो जाती हैं और दूध का भराव नहीं हो पाता, जिससे चावल बनने की प्रकिया रुक जाती है। इस मकड़ी के लिए 70 से 80 प्रतिशत नमी और 25 से 30 प्रतिशत डिग्री तापमान अनुकूल होता है।

दोनों सीजन में धान फसल लेने से लगती है बीमारी
जो किसान साल में दोनों सीजन में सिर्फ धान फसल लेते हैं, कभी फसल परिवर्तन नहीं करते एेसे खेतों में पेनिकल माइट का प्रभाव काफी ज्यादा पड़ता है। पेनिकल माइट खेत में धान फसल के ठूंठ में रहता है। फसल कटाई के बाद भी यह जीवित रहता है। जो किसान अपने खेत में धान फसल में वर्मी कम्पोस्ट डालते हैं एेसे खेत में पेनिकल माइट का प्रभाव काफी कम रहता है। एेसे खेत जहां यूरिया काफी ज्यादा मात्रा में उपयोग किया जाता है वहां पेनिकल माइट का प्रभाव ज्यादा रहता है।

इस दवा को डालने की सलाह : जहां पेनिकल माइट का प्रभाव है उन खेतों में डाइफेन्युटोन 120 ग्राम मात्रा में प्रति एकड़ या Abamectine 1.9% ई.सी. AMITE-G 250 एमएल प्रति एकड़ डालना चाहिए।